पत्रिका के *गुलाब* को क्यों चुभता है नश्तर की तरह आरक्षण ? !!!!

पुनर्विचार आवश्यक
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राजस्थान पत्रिका 28 अप्रेल 2020 में छपा सम्पादकीय पढ़कर वाकई लगा कि आरक्षण पर पुनर्विचार बहुत जरूरी हो गया है ।यह  तथ्य किसी से छुपा हुआ नही है कि यह अखबार मनुवादी विकृत मानसिकता का मुख पत्र बनकर रह गया है, जो गाहे बगाये अपनी संकीर्ण जातिवादी  मानसिकता का प्रकटीकरण करता रहता है।श्री गुलाब कोठारी  ने अपने आप को इतना शास्त्रज्ञ वेदवेत्ता  समाजवेत्ता और राजनीतिज्ञ  मानने की गलतफहमी पाल रखी है कि जब मन चाहे  किसी व्यक्ति संस्थान या विचारधारा को अपने निशाने पर लेकर  अनर्गल प्रलाप करता रहा है परन्तु यह व्यक्ति  ऐसा करते वक्त अपना स्वार्थ ओर नफा नुकसान की सौदेबाजी करके  ही ऐसा दुष्प्रेरणीय कुप्रयास करता है।   श्री कोठारी इरादतन ऐसा करता है ।  किसी बैल गाड़ी के नीचे चलता श्वान यह गलतफहमी पालता है कि गाड़ी उसके बुते पर चल रही है पर यह श्वान की मूर्खता ही प्रदर्शित करता है।पत्रिका को भी ऐसी गफलत हो गई है कि सारे देश और समाज को बौद्धिक मार्गदर्शन करना उन्ही के जिम्मे है।
नीति बनाने वाले बुद्धिजीवी  संवेदनाहीन ,माटी से जुड़ाव न होना और शरीर प्रज्ञा से अविज्ञ होते है,  जिससे आरक्षण लक्ष्य से भटक गया है यह शतप्रतिशत सही है क्योंकि करीब 90 प्रतिशत राजनीतिक दलों और  सत्ता के पदों   पर और 70 प्रतिशत से अधिक शीर्ष नोकरशाही पर मनुवादी मानसिकता के लोगों का  दुःखद शिकंजा है जिनका कोई न्यायिक चरित्र ही नही है ।
       हमारे संविधान में मानवता और इंसानियत की परिभाषा है परंतु आपने कितनी निर्लज्जतापूर्वक वर्ण व्यवस्था को प्रकृति  प्रदत्त  व्यवस्था जताने का कुत्सित प्रयास किया है जबकि वर्णव्यवस्था  मनुवादी विकृत मानसिकता के  लोगो का षड्यंत्र है जिसका एकमेव उद्देश्य है गरीब कमजोर  और अज्ञानी लोगो का हर प्रकार से शोषण करना और उसे ढिढतापूर्वक जायज ठहराना।
       श्रीमान कोठारी  आप आरक्षण के बारे में क्या जानते हो    और क्या गुणवत्ता के बारे में जानते हो।
आरक्षण की बात करे तो इसके मूल अभिप्राय को न तो आप समझते हो और न समझना चाहते हो ।आरक्षण को लेकर मनुवाद के मानस पुत्रो का दुखी होना स्वाभाविक है क्योंकि ये लोग नही चाहते कि सदियों से एकतरफा शोषण और संसाधनों के दोहन का  यह सिलसिला  बाधित हो ।आरक्षण का मतलब है प्रतिनिधित्व  क्योकि यह देश सबका है और खासकर यहाँ के मूलनिवासियो का है । देश के संसाधनों पर सबका समान अधिकार है  और हर वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये यह मंशा डॉ भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा की थी परन्तु  मनुवादियो ने अपने कुटिल दांवपेंचों से आरक्षण को अपने मकसद से ही भटका दिया है ।बुद्धिमान होना मनुवादियो की बपौती नही है  ।मण्डल कमीशन  की रिपोर्ट पुरातन असामाजिक व्यवस्था को ध्वस्त करने में मील का पत्थर है जिसे आपके नकारने से कोई फर्क नही पड़ेगा।मण्डल कमीशन ने सामाजिक व्यवस्था का सटीक चित्रण करके पिछडेवर्गो को प्रतिनिधित्व दिलाने में अहम किरदार निभाया है जिसका दर्द कोठारी जैसे लोगो को होना हमे समझ मे बखूबी आता है ।

 आप किस अखण्डता की बात कर रहे हो । भारतीय समाज को तो आपने सदियों से खण्डित कर दिया है ।तभी तो शोषित वर्गों के स्पर्श ओर छाया पड़ने से आपको इतनी नफरत थी।आपमे  इतनी हिकारत थी कि गांवों में घुसने नही देते ,सार्वजनिक स्थानों से पानी पीने नही देते ,अच्छे कपड़े नही पहनने देते  ,पढ़ने लिखने नही देते , कोई सम्पत्ति नही रखने देते यहा तक कि हमारे पूर्वजों ने मरे पशु खाकर अपने को  जैसे तैसे जिंदा  रखा  था। आप अपने पुरखों के और आज भी मनुवादियो की सोच पर भी कभी सम्पादकीय लिखे।आप देवदासियों  की उपयोगिता और ओचित्य पर लिखे । आप स्तन ढकने के  लिये कर वसूली पर लिखे। आप  जातीय जनगणना  और अनुपातिक आरक्षण पर लिखे ,आप लिखे कि 3 या 4 प्रतिशत ब्राह्मण वर्ग कैसे  प्रशासन की 70 प्रतिशत  और न्याय पालिका के 90 प्रतिशत से अधिक पदों पर कुंडली मार कर बैठा है ।यदि आपकी हिम्मत और ओकात होतो  बाबासाहब द्वारा लिखी तर्कसम्मत किताबो को सप्रमाण खण्डित करे ।आपकी सारी विद्वता काफूर हो जाएगी।गुणवत्ता की बात करू तो आपके मनुवादी पुरखो और वर्तमान के मानस पुत्रो की हैसियत ही नही की बाबासाहब के बराबर ज्ञानार्जन करके सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन का दुसाध्य कार्य कर सके ।हमे आप जैसे खण्डित मनोवृति के लोगो के प्रमाण पत्रों की जरूरत नही ।
       आप लिखो कि देश मे जितने घोटालेबाज है उनमें,विदेशों में कालाधन जमा करने वालो में  और देश की अस्मिता का सौदा करने वाले गद्दारो में कितने आरक्षित वर्ग के लोग है ।आजादी के बाद जितने प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री ,केबिनेट मंत्री , राष्ट्रपति , राज्यपाल , केबिनेट सेक्रेटरी ,मुख्य सचिव , वाइस चांसलर ,हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश,  राजदूत , बोर्ड निगमो के अध्यक्ष   आदि आदि कितने  पदों परआरक्षित वर्ग के लोगो को अवसर दिया है ।आज  जो देश की दुर्दशा है उसका जिम्मेदार कौन है ।
 आप लिखो आरक्षण के लाखों बैकलोक पद किसने खाये,आप लिखो कि लिखित में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सिविल सेवाओ के प्रति भागी  साक्षात्कार में कैसे बाहर हो जाते है । कितने लोगों को निर्लज्जतापूर्वक बैकडोर एंट्री करवाई है ।अरे आईएएस जैसे दुनिया  के उच्चतम पद पर आपने कानून बनाकर अपने 9  चहेतों को  प्रवेश दिलाकर सारी नैतिकता की धज्जियां उड़ा दी।यदि थोड़ी गैरत हो तो  इस कलुषित कुकर्म पर लिखो जिसमे अनुसूचित वर्ग को दरकिनार करके संविधान की आत्मा को चोट पहुचाई हैं।आप न्यायपालिका के कोलेजियम पर भी अपनी जुबान खोलने की जहमत करो ,जहा पीढ़ी दर पीढ़ी अपने अपने वारिसों को नियुक्त करके न्यायपालिका का चीर हरण किया जा रहा है।देश के कुछ परिवारों ने साजिशन कब्जा किया है । आप प्राचीन वर्ण व्यवस्था की  अनैतिक हिमायत करते हो तो बताओ  सदियों से समाज के बहुत बड़े तबके को शिक्षा से वंचित किसने रखा और संस्कृत जैसी भाषा को अपनी बपौती किसने समझा, आज भी शिक्षा का प्रतिशत इतना कम किसकी करतूत है ।यदि क्षत्रिय इतने सुरमा थे तो  सैकड़ो वर्ष तक मुस्लिम और अंग्रेजी शासन  की गुलामी का दोषी कौन है ।यदि वैश्यों की बात करे तो देश मे किराना  तेल  खाने पीने की कौनसी ऐसी सामग्री है जो मिलावट से बची है ।नकली दूध मावा घी मिठाई  पनीर  कपड़ा  आदि आदि हर वस्तु में मिलावट का जिम्मेदार कौन है । इस पर लिखने से आपकी कलम क्यो गुरेज करती है।
 जब पूरे देश मे कोरोना प्रोटोकॉल  का दौर चल रहा है  तो इस समय सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से अनुसूचित ओर पिछडेवर्गो के  संविधानिक अधिकारों को ध्वस्त करने का निर्णय करवाना बहुत गहरी चाल है ।
कोठारी  जी आप अपनी जमीन खिसकती देखकर  नसीहत दे रहे हो ,दरअसल धर्म  और पाखण्ड के वशीभूत होकर हमे सदियों से गुमराह किया है ।ब्राह्मणवादी सोच के लोगो ने हिन्दू मुस्लिम करके लोगो  को लड़ाया ओर शोषित वर्ग का भरपूर दुरुपयोग किया  हैऔर समाज मे वैमनस्य का बीजारोपण आप लोगो ने किया है । संविधानिक प्रावधानों से हमे कुछ अधिकार और सत्ता में भागीदारी मिली यह आप लोगो से बर्दाश्त नही हो रहा है । इसी लिए अवसर प्रसंग पर आप जहर उगलते रहते हो । आज वैश्विक परिवर्तन हो चुका है  ,हमारे लोग पढ़ लिखकर इतने काबिल तो हो ही गये है कि अपना हित अहित बखूबी समझ सके।आपके कुंठाग्रस्त ज्ञान से हम भ्रमित होने वाले नही है ।भगवान बुद्ध ,कबीर, ज्योतिराव फुले , अम्बेडकर और कांशीरामजी के अनुयायियों की जागृति को आप कमतर न आंके। अंगारों पर जमी राँख को देखकर यह भूल न करे कि अतीत की तरह आज भी आपके जुल्मो सितम और नाइंसाफी बर्दाश्त कर लेंगे,कदापि नही।
  मेरा सुझाव है  कि आपने  अप्रमाणिक मनुवादी ग्रन्थो को पढा है ,कभी निर्विकार भाव से अम्बेडकर दर्शन को पढ़े  ,आपके मन का मैल धूल जायेगा।
      आपके दकियानूसी औऱ गैरबराबरी  के जातिवादी विचारो को जानकर  राजस्थान पत्रिका पढ़ने का ओचित्य ही समाप्त हो गया है ।हम पत्रिका का दहन मनु स्मृति की तर्ज पर करेंगे और आपके विचारों और इरादो को जमीदोंज कर देंगे यह सनद रहे।
  

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