निबन्ध – डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जयंती ।#article



 14 अप्रेल भारत रत्न बाबासाहब भीमराव अंबेडकर जी की जयंती है।सम्पूर्ण भारत सहित विश्व के ज्यादातर देशों में बाबासाहब को मानवता के लिए किए गए अप्रतिम योगदान के लिये  विनम्रतापूर्वक याद करते हुये उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की जाती है।यू तो दुनिया मे अनेक महापुरुष हुए है जिन्होंने तत्कालीन परिस्थियो में  आमजन को नेतृत्व ओर दिशा दी है और पारिस्थिक समस्याओं और संकटो में योग्य राह दिखाई है ।अनेक महापुरुषों ने अपनी विशिष्ट विचारधारा का प्रतिपादन किया है परन्तु कई विचारधाराएं उस महापुरुष के जीवन काल मे ही चरमोत्कर्ष से रसातल को पहुँच गई और अनेक निष्प्रभावी या कालबाह्य हो गई।
        बाबासाहब अम्बेडकर की विचारधारा  के संदर्भ में बात करे तो हम पाते है कि उनकी अपनी कोई वैयक्तिक विचारधारा अथवा विशिष्ट कार्य पद्धति नही थी बल्कि उनकी विचारधारा सनातन मानवतावादी  करुणा मैत्री और समतावादी थी जो युगों युगों से मानवसंस्कृति की अभिन्न जरूरत ओर उपयोगिता को दर्शाने वाली थी जिसे  महात्मा बुद्ध  भगवान  महावीर संत कबीर सन्त रविदास   संत तुकाराम सन्त गाडगे राष्ट्रपिता महात्मा फुले  जैसे अनेकानेक महापुरुषों ने अपने ज्ञान चिंतन से  प्रकट करते हुऐ सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के उदात्त भाव से प्रवृत्त किया है।।   
      बाबासाहब ने सभी धर्मों सभी विचारधाराओं समस्त पौराणिक ग्रंथों ओर शास्त्रों का गम्भीरतापूर्वक अध्ययन मनन ओर स्वाध्याय कर  समता स्वतन्त्रता बन्धुत्व और न्याय आधारित आदर्श समाज के निर्माण की कारक विचारधारा को आगे बढ़ाया और उसके लिए जीवंत पर्यन्त पराकाष्ठा की सीमा तक जाकर  कार्य किया क्योंकि यही मानवतावादी और समतावादी चिंतन प्रायः सभी धर्मों का सार रूप है ।यह बात अलग है कि अनेक धर्मो सम्प्रदायों और विचारधाराओं को वैयक्तिक स्वार्थवश अथवा खण्डित सोच के कुटिल ओर पाखंडी लोगो ने उसमे विकृतियों का बीजारोपण करके उन्हें दूषित कर दिया जिसके दुष्परिणाम  समाज मे अकसर हमे दृष्टिगोचर होते रहते है।


डॉक्टर अम्बेडकर एक व्यक्ति नही बल्कि एक सुखदायी सोच है जो सबके कल्याण की कामना  के लिये समर्पित है।अनेक लोगों ने अम्बेडकर को पढ़ा नही यदि पढ़ा तो ठीक से जाना नही ओर जाना तो  हूबहू माना नही।किसी ने उन्हें वंचित समाज का नेता माना  तो पिछड़े ओर शोषित समाज ने उन्हें अपने समुदाय तक सीमित करने का अनर्थ किया है ।यहाँ गलतिया दोनो तरफ़ से हुई और राजनीति ने उसमे अपने हित अहित को देखकर तड़का लगाने और विभेदों को बढ़ाने में कोई कसर नही रखी।आज इसी का  दुष्परिणाम है कि अम्बेडकर को लेकर अपने तर्क वितर्कों के साथ लोग आपसी सौहार्द को ध्वस्त करने से बाज नही आ रहे।
      अम्बेडकर ने अपने जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त जो सामाजिक तिरस्कार अपमान  प्रताड़ना झेली ,दुनिया इतना बड़ा विद्वान होने के बावजूद जो अभाव उन्होंने सहे,अपना परिवार दाने दाने को तरसा ओर उनके बच्चे ईलाज के अभाव में कालकवलित हुये ओर उन्हें कफ़न तक नसीब न हुआ ,क्या हमारे बस में है उस विषमता ओर वेदना को समझना ।नही कत्तई नही ।हमारी तुच्छ ओर स्वार्थपरक सोच की क्षमता ही नही की उनके मनोभावों को समझ सके।इतना सब होने के बावजूद जब उन्हें संविधान निर्माण का अवसर मिला तो उन्होंने बहुत उदारता करुणा और ज्ञान गम्भीर गहराई से सबके लिए       कल्याणकारी भावनाओ का संविधान में प्रकटीकरण करके उसे मूर्तरूप दिया।आज हम उसी संविधान की छत्रछाया में पल्लवित होकर अपने जीवन को उन्नति की ओर आगे बढ़ा रहे है।
  दरअसल हम  स्वार्थ वादी ओर विखंडनवादी सोच से ऊपर उठकर देखेंगे तो पाएंगे कि बाबासाहब  महान राष्ट्रपुरुष थे जिन्होंने आधुनिक भारत के नवनिर्माण में अपने आप को आहूत कर दिया।वे महान राष्ट्रभक्त ओर युगदृष्टा थे जिनके लिये समस्त देशवासी ही नही बल्कि मानवमात्र एक परिवार था और जिओ ओर जीने दो के सिंद्धान्त को हृदय से मानने वाले थे।
       हम  अम्बेडकर को मूर्तियो   में न तलाशे ,वे खुद व्यक्तिपूजा के खिलाफ थे।उनकी बताई शिक्षाओं को समझने और उसपर अमल करके मानवता वादी विचारधारा को बढ़ाकर जन्मगत, जातिगत, भाषागत ,क्षेत्रगत , नस्लीय  ,गरीबी अमीरी की न्यूनतागत सोच से ऊपर उठकर    सबल संगठित और समतावादी समाज की रचना करने में खुद को समर्पित करने की जरूरत है ।अम्बेडकर की महानता ओर उनके दर्शन को धीरे धीरे समझकर मानवकल्याण में लगना ही उस महामानव के लिये सच्ची भावांजलि होगी ।जय भीम जय भारत।  

माल्यार्पण करते हुए अनुयायी, सोसल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए। पिंडवाड़ा

4 thoughts on “निबन्ध – डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जयंती ।#article”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top