सोशियल डिस्टेंसिंग
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
इतना कहर,थोड़ा ठहर।
ये फासले अच्छे नही,
हम दिलो से है जुड़े,
पर दूरिया बस्ती में है।
यह दौर ऐसा आ गया,
जब देश ही नासाज है।।
न रिश्तो में कोई नुक्स हैं।
ऐहतिहात है बस रोग से।
हकूमतों संग अवाम हैं,
थम गये पहिये सभी।
और रास्ते सब जाम है।
हर जुबा पर कोरोना,
बस एक ही तो नाम है।
हम समझे सारे फर्ज अपना,
मादरे वतन के खातिर।
काम आये अवाम के हित,
खुश होकर उतारे कर्ज अपना।
वक्त ये दुश्वारियो का,
जल्दी पलट के जायेगा।
दूरिया समाज की ,
मिट जाएगी एहतराम कर।
वो पुराना भाई चारा,
और गले मिलना हमारा।
एकता हर कौम की,
मुस्कुराती जिंदगी का,
फिर दिखेगा प्यारा नजारा।
Bohot hi sundr rachnatmak kavita hai🙏🙏