संविधान दिवस

संविधान  दिवस एक गौरवशाली  उत्सव

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मनुष्य के  जीवन में  उत्सवो का  बड़ा  महत्व है ।जिस दिन हमारे  जीवन में  हार्दिक  व आत्मिक  आनंद की अनुभूति होती है  उस  यादगार  दिन  को हम उत्सव या त्यौहार के रूप में मनाते है और  ऐसे  खास व यादगार दिन  को हर वर्ष   याद  करते हैं  और परस्पर  बधाई  देकर  नव परिधानों  से सज्जित  होकर  व्यंजन खाकर हासिल परिहास  नाच गान  करते हुए  विविध  तरिके से खुशियों का  इजहार  करते है।हमारे देश में  दर्जनो त्यौहार   विभिन्न क्षेत्रों में  विविध  समाज  समूहों द्वारा  मनाते जाते है। भारत में  स्वतंत्रता दिवस  व गणतंत्र दिवस  ही ऐसे उत्सव है जिन्हें  पूरे देश   व  विदेशों में भी   भारतीय  समाज बहुत  उत्साह व गरिमा  से मनाते हैं ।ऐसे राष्ट्रीय  उत्सवो की कड़ी में   देखे तो  26नवम्बर  का दिन  भी हमारे  राष्ट्रीय  समाज के लिए  महत्वपूर्ण   दिवस  होने  के कारण   किसी पर्व से कम नहीं है ।

राजा रजवाडो ,मुसलमान  शासकों व अंग्रेजी शासन  के उथल पुथल भरे दौर और गुलामी के  बाद  बहुत  बड़े संघर्षों  व कुर्बानीयो के बाद   15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली एवं स्वदेशी  लोकतांत्रिक  व लोक कल्याणकारी  शासन की  हमारे  देश  में स्थापना  हुई । देश की संघीय  सरकार  के  सामने  सबसे बड़ी  चुनौती  यह थी कि  सरकार  संचालन के लिए  ऐसा संविधान  बने जो हमारे  देशज  समाज  चिर प्रतिक्षित आशाओ  व आकांक्षाओ की पुर्ति कर सके।

 

 

भारत  के संविधान  निर्माण का कार्य  डाक्टर भीमराव  अंबेडकर को सौपते हुए  उन्हें  प्रारूप  समिति  का  अध्यक्ष  बनाया गया । बाबा साहब डॉ भीमराव   ने इस कठिन व श्रम साध्य चुनौती  को स्वीकार  करते हुए  भारतीय  मूल्यों  मान्यताओं   तमाम  क्षेत्रिय भाषाई  सांस्कृतिक   परम्पराओ का खयाल  रखते हुए  संविधान  का प्रारूप तैयार करने  का दुसाध्य कार्य  किया ।  संविधान  सभा के  तमाम  विद्वानों की  शंका  आशंकाओ का निराकरण  करते हुए  समाज के  सभी  वर्गों  और खास कर  सदियों से  शोषित व उपेक्षित  जातियो के उत्थान व  अवसरों  का प्रावधान किया ।भारत के  संविधान में  देश  के हर व्यक्ति को  मूलभूत  अधिकारों की  सौगात  देकर संरक्षण  दिया । हमारा संविधान  समता स्वतंत्रता  बंधुत्व और न्याय  आधारित  समाज के  निर्माण की  अवधारणा को लेकर  बनाया गया है । किसी  के प्रति  दुराव या वैमनस्य का लेशमात्र नहीं ।

भारत  का संविधान  दुनिया  का बेहतरीन  दस्तावेज है  जिसकी  रचना  डॉ  अंबेडकर ने दो वर्ष  ग्यारह  महीने व अठारह  दिन  की कठोर  मेहनत व तपस्या  से लिखकर साकार  किया है ।

आज अनुसूचित व पिछड़े वर्गों  को भी शासन प्रशासन  में भागीदारी  मिली है वह अभूतपूर्व  व अकल्पनीय कार्य   इस जन कल्याणकारी  संविधान  व अंबेडकर की साधना  का परिणाम है ।

हमारा  समाज  डॉ  अंबेडकर का चिर ऋणी रहेगा  जिनके  संघर्ष  व बौद्धिक  कौशल  के कारण  हम सत्ता के गलियारो में दस्तक दे  सके है।   आज पिछड़े वर्गों  की प्रगति व  संविधानिक अधिकारों की मान्ग  करना, सदियों से  शोषण  करने  का अभ्यस्त   हो चूका वर्ग सहन नहीं कर  पा रहा है  और  जातिगत भेदभाव  की कुण्ठा से ग्रसित मानसिकता  के लोग  नानाविध षडयंत्रो के द्वारा  संविधान  को कमजोर कर  मिटाने की  दुश्चेष्टा कर रहे है। ऐसे  में सभी  मानवतावादी लोगों को  संविधान  दिवस को  अतिव उत्साह  व उमंग से  मनाते हुए  मानवता के मसिहा  भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव  अंबेडकर को कृतज्ञता पूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारतीय संविधान  को अक्षुण्ण रखने  के लिए  संघर्ष करने का संकल्प लेंने की जरूरत है ।

मोहनलाल डॉगी  झाड़ोली

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