डॉक्टर ही भगवान और अस्पताल बने मंदिर ।।।

डॉक्टर  ही भगवान और अस्पताल  बने मन्दिर:-
—————————————- मनुष्य जीवन सर्वोत्तम ओर दुर्लभ  माना जाता है जिसके सामने इंसान की सारी प्राथमिकताएं  नगण्य है। आज इंसान ने विकास करते हुये  अपने को बहुत समर्थ ओर अजेय सा बना  दिया है। अपने तकनीकी  और वैज्ञानिक ज्ञान के बल पर जल थल व नभ पर अपना वर्चस्व सा कायम कर दिया है।   वर्तमान समय मे  कोविड 19  महामारी ने  दुनिया मे तहलका मचा दिया है । हर देश अपने नागरिकों को इस वायरस से बचाने का भरसक प्रयास कर रहा है परन्तु लाखो   लोग  कोरोना  महामारी की चपेट में आ गये है और प्रतिदिन इसका शिकंजा ओर दायरा बढ़ता ही जा रहा है ।हजारो लोग  अपनी जान गवा चुके है ।हमारे देश मे भी इस वायरस ने  महामारी का रूप ले लिया है ।देश मे तीसरी बार लॉक डाउन करके सारी गतिविधिया बन्द की जा चुकी है । केंद्र व राज्य सरकारें  औऱ उनका शासन प्रशासन रात दिन  इस महामारी से बचाव में लगा है ,बावजूद इसके संक्रमण का विस्तार लगातार हो रहा है।

        राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय आपदा के इस मुश्किल हालात में अग्रिम पंक्ति में हमारे देश के डॉक्टर नर्सिंग कर्मचारी ओर अस्पताल ही उम्मीदों के केंद्र बने है।आज जनता को कही पर  राहत व  उपचार मिल रहा है , तो इन्ही अस्पतालों से।देश भर के डॉक्टर और चिकित्सा विभाग का अमला  रात दिन  अपने कर्तव्य को निष्ठापूर्वक निभाकर बीमार लोगो का जीवन बचाने में  लगा है।
      डॉक्टरों और उनके सहकर्मी चिकित्सा कार्मिको का यह पुरुषार्थ हर किसी को नतमस्तक होने को मजबूर करता है ।।         3 मई  2020 को द्वितीय लॉक डाउन की समाप्ति औऱ  तृतीय लॉक डाउन की शरुआत पर  भारत और  पूरी दुनियां ने  अभूतपूर्व नजारा देखा ,जब हमारी थल सेना वायुसेना ओर जलसेना ने  देश के चिकित्सको और अस्पतालों  पर हेलीकॉप्टरों द्वारा पुष्प वृष्टि की गई ।सेना के बैंड ने अनेक स्थानों पर बैंड वादन करके और समुद्र में लड़ाकू जहाजो पर  मनोरम लाईटिंग करके देश के असली हीरो हमारे  चिकित्सा विभाग  के कार्मिको को सम्मान देते हुए उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की गई।
तीनो सेनाओं द्वारा ऐसा सम्मान दर्शाना दुर्लभतम उदाहरण है ।देश  भर मे आमजन ने भी  मेडिकल स्टाफ पर कही  पुष्प वृष्टि  ,तालिया बजाकर और दीपक जलाकर इन योद्धाओं के प्रति सम्मान प्रकट करते हुऐ इनके लिए दुआएं  मांगी
   डॉक्टरों और नर्सिंग कार्मिको को यह सम्मान क्यो मिला इसको समझने की जरूरत है ।इन योद्धाओं ने कोरोना जैसी जानलेवा महामारी की अभी तक कोई दवाई न होने के बावजूद अपनी जान जोखिम में डालकर रात दिन बिना थके बिना रुके ड्यटी निभाई है ।चिकित्सा विभाग के योद्धाओं ने कई कई दिनों तक घर सेव  बच्चो से दूर रहकर  खाने पीने की परवाह न Uकरते हुए उच्च मानवीय मूल्यों का परिचय दिया है।इस  जंग को लड़ते हुये अनेक डाक्टर और  नर्सिंग स्टाफ संक्रमित हुए और अपने जीवन की जंग ही हार गए परन्तु मेडिकल टीमो का हौसला कम नही हुआ।

       देश के बड़े उद्योगपति रतन टाटा  ने हमारे जीवन को रेखांकित करते हुऐ एक लघु सन्देश जारी करके  कहा है कि वर्ष 2020 जीवित रहने का साल है ,लाभ हानि   की चिंता न करे।सपनों और योजनाओं के बारे में  बात न करे।इस वर्ष अपने आप को जीवित   रखना ही सबसे बड़ा ॥लाभ है। रतन टाटा ने बहुत सार्थक बात कही है।हमारे जीवन की तुलना  किसी से नही की जा सकती ,वह अतुल्य है।बाकी सारी गतिविधिया बाद में भी हो सकती है ,परन्तु जीवन दुबारा नही लौट सकता । हमारे डॉक्टरों द्वारा  असामान्य परिस्थितियो में  आमजन की जिंदगी बचाने  की लड़ाई  लड़ी जा रही है।
   कोरोना  वायरस ने ऐसा हाहाकार मचाया है कि लॉक डाउन की वजह से सारे उद्योग  धंधे और व्यापारिक गतिविधिया ठप्प है । सभी धर्मों के समस्त धार्मिक  आध्यात्मिक  सार्वजनिक स्थान पूरी तरह बंद है। सरकारी ,निजी और सामाजिक आयोजन बन्द है। हवाई, रेल ,बस  व टेक्सी  परिवहन बन्द है ।सभी स्कूल कॉलेज और खेल प्रतियोगिताये भी बन्द है ।सभी नागरिकों को घर मे बन्द ओर सुरक्षित रहने  की सख्त हिदायत है ।धारा 144  लगाई गई है । जीवन उपयोगी आवश्यक सामान ही उपलब्ध करवाया जाता है ।ऐसे  हालातो में  डॉक्टरों ओर नर्सिंग स्टाफ का  मैदान में डटे रहना  वन्दनीय है ।
           इस वैश्विक महामारी के संकटकालीन  समय मे लोगो के मन मस्तिष्क मे कुछ  बाते स्पष्ट होती जा रही है जिनकी तरफ सबका ध्यान गया है ।पहली बात यह कि व्यक्ति के लिए उसके जीवन से बढ़कर  दुनिया मे दूसरी  कोई अनमोल वस्तु हो नही सकती।
दूसरी बात यह कि दुनिया भर में लोग धार्मिक प्रपंचों में पड़ कर अपने कीमती समय और धन की बर्बादी इस उम्मीद में करता है कि मुसीबत में उसे ईश्वरीय सत्ता बचायेगी पर कोरोना महामारी ने इस धारणा को निर्मूल साबित कर दिया क्योंकि दुनिया भर के तमाम नामचीन बड़े बड़े धार्मिक केंद्रों पर भी ताले लगा दिये है ।सिर्फ वैज्ञानिक चिकित्साशास्त्र ही  जीवन बचाव का एकमेव उपाय है ।
 तीसरी बात यह कि  मनुष्य ने  बहुताधिक  सुख सुविधाओं की चाह में  अपना रहन सहन ,खान पान  ओर जीवनशैली को   जरूरत से ज्यादा बदल दिया है ।प्रकृति  और पर्यावरण का  शोषण किया है  जो आत्मघाती कदम साबित हो रहा है । संयमित ,नियमित ओर सादगीपूर्ण जीवन ही ज्यादा खुशहाल ओर सुरक्षित हो सकता है।
   सरकार और आमजन को चिकित्सको ओर अस्पतालों के प्रति  नजरिया बदलकर  इन जीवन केंद्रों को अधिक सक्षम सुविधासम्पन्न  और विस्तारित करने की  बहुत आवश्यकता है ।यह समय हमारे चिकित्सा कार्मिको  की हौसला अफजाई ओर  उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का  अवसर है  ।

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