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मेहनत ही तकदीर है तेरी,
ओर माथे पर पसीना।
धीर,सागर की तरह,
प्रतिपल अभावो संग जीना।
प्रभात की पुरवाईया,
तपती दोहपरी का कहर।
साँझ की थकान भी,
न रोकते तेरे कदम।।
फ़टी आंगी से झांकता,
तेरा ये तपा बदन।
न कोई गिला तुझे,
न अभावो का रुदन।।
एक जोड़ी बैल ही तो,
सुख दुख के साथी है।
झोपड़ी महल सी,
ओर खेत ही जहान है।।
हर बरस बारिश ही,
अदद खुशी की हैं वजह।
बोझ घर का खूब हैं,
कोई न आस की जगह।।
बाबा की सांसें उखड़ती,
अकसर अम्मा की बीमारी।
चंदू की तालीम कैसे,
मुनिया की शादी सगाई।
पत्नी की खुशियां अधूरी,
कर सका अब तक न पूरी।
अन्नदाता कहलाता पर,
साहूकारी ब्याज भारी।।
किसने कभी भी सुध ली,
मेरे खेत खलिहान की।
कहने को देते दिलासा,
वो चुनावी ,शर्ते सुहानी।।
अन्न के भण्डार भर कर,
पालता हु देश को।
बरसो से छलता रहा मैं,
फिकर नही इस देश को।
भीख न उपकार कर,
मेरा न उपहास कर।
खेत को पानी मिले,
उपज का सही दाम कर।।
राष्ट्र हित मेरा पसीना,
स्वाभिमानी हूँ किसान।
रहनुमाओ , खेलो न तुम,
मेरे धैर्य और सम्मान से।।
Great poetry 👌
Real picture of bhumiputra.
थैंक्स
वेलकम